परिचय (Introduction)
Anxiety यानी चिंता—यह शब्द सुनते ही मन में बेचैनी, डर, घबराहट, या असहजता का एहसास आता है। आज के दौर में, जब प्रतिस्पर्धा, आर्थिक दबाव, सोशल मीडिया, और बदलती जीवनशैली हर किसी पर असर डाल रही है, anxiety एक आम मानसिक समस्या बन चुकी है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, भारत में 6–7% आबादी किसी न किसी रूप में anxiety disorders से पीड़ित है।
यह समस्या बच्चों, युवाओं, महिलाओं, पुरुषों—सभी में देखी जाती है।
अगर समय रहते anxiety को पहचाना और संभाला न जाए, तो यह न केवल मानसिक, बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर डाल सकती है।
Anxiety क्या है?
Anxiety एक स्वाभाविक भाव है, जो किसी खतरे या अनिश्चितता के समय शरीर और दिमाग की सुरक्षा प्रतिक्रिया के रूप में सामने आता है।
थोड़ी-बहुत चिंता हर किसी के लिए सामान्य है—जैसे परीक्षा से पहले, नौकरी के इंटरव्यू, या किसी नई जिम्मेदारी के वक्त।
लेकिन जब यह चिंता लगातार, अत्यधिक और असहनीय हो जाए, रोजमर्रा के कामकाज में बाधा डाले, तो उसे “anxiety disorder” कहा जाता है।
Types of Anxiety Disorders)
- Generalized Anxiety Disorder (GAD):
लगातार, बिना किसी स्पष्ट वजह के चिंता और बेचैनी। - Panic Disorder:
अचानक तेज़ घबराहट, दिल की धड़कन बढ़ना, पसीना आना, सांस फूलना—panic attack के रूप में। - Social Anxiety Disorder:
लोगों के बीच, सार्वजनिक जगहों पर या भीड़ में घबराहट, शर्म, या डर महसूस होना। - Specific Phobias:
किसी खास चीज़ या स्थिति (जैसे ऊँचाई, अंधेरा, जानवर, उड़ान) से अत्यधिक डर। - Obsessive Compulsive Disorder (OCD):
बार-बार अनचाहे विचार आना (obsessions) और उन्हें दूर करने के लिए दोहराव वाली क्रियाएँ (compulsions) करना। - Separation Anxiety Disorder:
अपनों से अलग होने पर असामान्य डर, खासकर बच्चों में। - Post-Traumatic Stress Disorder (PTSD):
किसी हादसे, आघात या डरावनी घटना के बाद लगातार चिंता, डर और फ्लैशबैक।
Anxiety के Symptoms
मानसिक लक्षण (Psychological Symptoms)
- लगातार चिंता या डर
- बेचैनी, घबराहट, या असहजता
- किसी अनहोनी की आशंका
- ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई
- चिड़चिड़ापन
- नकारात्मक सोच
शारीरिक लक्षण (Physical Symptoms)
- दिल की धड़कन तेज़ होना
- सांस फूलना
- पसीना आना
- मांसपेशियों में तनाव या दर्द
- सिरदर्द या माइग्रेन
- थकान, कमजोरी
- पेट में गड़बड़ी, अपच, मतली
- नींद की समस्या (अनिद्रा या बार-बार जागना)
- हाथ-पैर कांपना
अगर ये लक्षण 6 महीने से अधिक समय तक लगातार बने रहें और रोजमर्रा की जिंदगी पर असर डालें, तो डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है।
Anxiety के कारण
Anxiety का कोई एक कारण नहीं होता; यह कई कारकों के मेल से होती है:
- जैविक कारण (Biological Factors):
दिमाग के कुछ रसायनों (neurotransmitters) का असंतुलन, जेनेटिक्स, हार्मोनल बदलाव। - मनोवैज्ञानिक कारण (Psychological Factors):
बचपन का आघात, तनावपूर्ण जीवन घटनाएँ, नकारात्मक सोच। - पर्यावरणीय कारण (Environmental Factors):
पारिवारिक समस्याएँ, आर्थिक तनाव, कार्यस्थल का दबाव, सामाजिक अपेक्षाएँ। - शारीरिक स्वास्थ्य (Physical Health):
थायरॉइड, डायबिटीज़, हार्ट डिजीज़ जैसी बीमारियाँ anxiety को ट्रिगर कर सकती हैं। - दवाएँ या नशा (Medications/Substance Use):
कुछ दवाओं के साइड इफेक्ट, शराब, तंबाकू, या ड्रग्स का सेवन।
रात में मोबाइल स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी (blue light) न सिर्फ नींद की गुणवत्ता को खराब करती है, बल्कि दिमाग को भी लगातार एक्टिव और बेचैन बनाए रखती है।
इससे नींद में कमी, थकान, चिड़चिड़ापन और अगले दिन ध्यान केंद्रित करने में परेशानी हो सकती है।
लंबे समय तक स्क्रीन टाइम बढ़ने से आंखों में जलन, सिरदर्द, और यहां तक कि तनाव और anxiety के लक्षण भी उभर सकते हैं।
मोबाइल, लैपटॉप या टैबलेट से निकलने वाला इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन भी लगातार संपर्क में रहने पर दिमागी थकान और बेचैनी को बढ़ा सकता है।
रात में स्क्रीन देखने से मेलाटोनिन हार्मोन का स्तर गिर जाता है, जिससे नींद आना मुश्किल हो जाता है और शरीर का प्राकृतिक रिदम बिगड़ जाता है।
विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि सोने से कम से कम एक घंटा पहले सभी डिजिटल डिवाइस बंद कर दें।
इसके बजाय किताब पढ़ना, हल्की स्ट्रेचिंग, या परिवार के साथ बातचीत करना बेहतर विकल्प हैं।
अगर मोबाइल का इस्तेमाल जरूरी हो, तो “night mode” या “blue light filter” का उपयोग करें और स्क्रीन ब्राइटनेस कम रखें।
रात में मोबाइल पर सोशल मीडिया या गेमिंग से बचें, क्योंकि यह दिमाग को ओवरस्टिम्युलेट करता है और anxiety के लक्षणों को बढ़ा सकता है।
अच्छी नींद, सीमित स्क्रीन टाइम और डिजिटल डिटॉक्स से मानसिक शांति, ध्यान और ऊर्जा में सुधार आता है—जो आज के समय में anxiety से बचाव के लिए बेहद जरूरी है।
यहाँ anxiety कम करने और मानसिक शांति बनाए रखने के लिए कुछ अतिरिक्त टिप्स दिए गए हैं, जिन्हें आप अपनी दिनचर्या में शामिल कर सकते हैं:
1. गहरी सांस लेना और पेट से श्वास
गहरी सांस लेने की तकनीक (deep breathing) तुरंत दिमाग और शरीर को शांत करती है। एक हाथ अपनी छाती पर और दूसरा पेट पर रखें, नाक से धीरे-धीरे सांस लें और महसूस करें कि पेट ऊपर उठ रहा है। फिर मुंह से धीरे-धीरे सांस छोड़ें। यह तरीका anxiety अटैक के दौरान भी बेहद असरदार है।
2. स्ट्रेचिंग और हल्की फिजिकल एक्टिविटी
गर्दन, कंधे और पीठ की स्ट्रेचिंग से शरीर में जमा तनाव कम होता है और मूड बेहतर होता ह। रोज़ाना 15-20 मिनट हल्की एक्सरसाइज या वॉकिंग anxiety के लक्षणों को कम करने में मदद करती है।
3. मेडिटेशन और माइंडफुलनेस
रोज़ाना ध्यान (meditation) और माइंडफुलनेस की प्रैक्टिस करें। इससे नकारात्मक विचारों पर नियंत्रण मिलता है, दिमाग शांत होता है और चिंता कम महसूस होती है।
4. अच्छी नींद और नियमित रूटीन
पर्याप्त और गुणवत्तापूर्ण नींद लेना बेहद जरूरी है। सोने और उठने का समय तय रखें, स्क्रीन टाइम (खासकर देर रात मोबाइल) सीमित करें, और सोने से पहले रिलैक्सिंग एक्टिविटी करें।
5. संतुलित आहार और हाइड्रेशन
फाइबर, प्रोटीन, हरी सब्जियाँ, फल और साबुत अनाज से भरपूर आहार anxiety को कंट्रोल करने में मदद करता है। कैफीन, शराब और प्रोसेस्ड फूड से बचें, और दिनभर पर्याप्त पानी पिएँ।
6. सोशल मीडिया और डिजिटल डिटॉक्स
सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग तनाव और चिंता बढ़ा सकता है। समय-समय पर डिजिटल ब्रेक लें और असली रिश्तों को प्राथमिकता दें।
7. म्यूजिक और रचनात्मक गतिविधियाँ
अपनी पसंद का शांत या प्रेरणादायक म्यूजिक सुनें, पेंटिंग, लेखन या गार्डनिंग जैसी हॉबीज़ में समय बिताएँ—यह दिमाग को रिलैक्स और पॉजिटिव बनाए रखता है।
8. प्रोफेशनल मदद लेने में संकोच न करें
अगर anxiety के लक्षण लंबे समय तक बने रहें या रोजमर्रा की जिंदगी पर असर डालें, तो मनोचिकित्सक या काउंसलर से संपर्क करें। थेरेपी और काउंसलिंग anxiety मैनेजमेंट में बहुत असरदार हैं।
9. समय प्रबंधन और आत्म-देखभाल
अपने कामों को प्राथमिकता दें, खुद को ओवरलोड न करें और हर दिन खुद के लिए थोड़ा समय जरूर निकालें।
10. प्रकृति के साथ समय बिताएँ
खुली हवा में टहलना, पेड़-पौधों के बीच वक्त बिताना या सूरज की रोशनी लेना—यह सब तनाव और चिंता को कम करने में मददगार हैं।
इन छोटे-छोटे बदलावों को अपनाकर आप न सिर्फ anxiety को कम कर सकते हैं, बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बना सकते हैं।
अगर समस्या गंभीर हो, तो डॉक्टर से सलाह लेना न भूलें।
Anxiety से जूझना आसान नहीं होता, लेकिन याद रखें कि आप अकेले नहीं हैं। हर दिन हजारों लोग इस चुनौती का सामना कर रहे हैं और इसे पार कर रहे हैं।
आपकी चिंता आपकी कमजोरी नहीं, बल्कि आपकी ताकत का हिस्सा है जो आपको बेहतर बनाने की कोशिश कर रही है। इसे अपने खिलाफ हथियार न बनने दें, बल्कि इसे समझें और उससे लड़ने का हौसला रखें।
जब भी आपको लगे कि चिंता आपको घेर रही है, खुद से कहें: “मैं इस स्थिति से बाहर निकल सकता हूँ, मैं मजबूत हूँ।”
हर छोटा कदम, चाहे वह सांस लेने की गहरी तकनीक हो या एक सकारात्मक सोच, आपको उस अंधेरे से बाहर निकालने का रास्ता दिखाता है।
आपका मन और शरीर आपकी सबसे बड़ी ताकत हैं। उन्हें प्यार दें, उनकी सुनें और उनकी देखभाल करें।
धैर्य रखें, क्योंकि बदलाव रातों-रात नहीं आता, लेकिन लगातार प्रयास से हर दिन बेहतर बनता है।
Anxiety आपको रोक नहीं सकती, जब तक आप खुद हार नहीं मानते।
अपने डर का सामना करें, अपनी कमजोरी को अपनी ताकत बनाएं, और अपने जीवन को फिर से खुशियों से भर दें।
याद रखें, आप अकेले नहीं हैं, और मदद मांगना कमजोरी नहीं बल्कि साहस की निशानी है।
आज से ही अपने अंदर की शक्ति को पहचानें और अपने जीवन की नई शुरुआत करें।
आपका भविष्य उज्ज्वल है, बस एक कदम बढ़ाने की देर है।
भारत बनाम अन्य देश: Anxiety का तुलनात्मक विश्लेषण
भारत में anxiety के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन जागरूकता, stigma और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की सीमित उपलब्धता के कारण बहुत से लोग इलाज नहीं करा पाते।
भारत में केवल 10–15% patients ही प्रोफेशनल मदद लेते हैं, जबकि अमेरिका/यूरोप में यह आंकड़ा 50–60% तक है।
विकसित देशों में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर खुलापन, बेहतर काउंसलिंग, और दवाओं की उपलब्धता है, जबकि भारत में अभी भी मानसिक बीमारियों को छुपाना आम है।
स्कूल, ऑफिस और समाज में मानसिक स्वास्थ्य पर चर्चा और सपोर्ट सिस्टम विकसित करना भारत के लिए बड़ी चुनौती है।
जोखिम कारक (Risk Factors)
- पारिवारिक इतिहास (family history)
- बचपन में आघात या दुर्व्यवहार
- लगातार तनाव या दबाव
- गंभीर बीमारी या chronic health issues
- अकेलापन या सामाजिक अलगाव
- substance abuse (नशा)
- महिला होना (महिलाओं में anxiety disorders अधिक देखे जाते हैं)
Anxiety के Impact
Anxiety का असर सिर्फ दिमाग तक सीमित नहीं रहता—यह शरीर, रिश्तों, काम, पढ़ाई, और जीवन की गुणवत्ता पर भी गहरा असर डालता है।
- शारीरिक स्वास्थ्य:
हाई ब्लड प्रेशर, दिल की बीमारियाँ, इम्यून सिस्टम कमजोर होना। - मानसिक स्वास्थ्य:
डिप्रेशन, पैनिक अटैक, आत्महत्या का खतरा। - रिश्ते:
परिवार, दोस्तों, सहकर्मियों से दूरी, झगड़े, गलतफहमियाँ। - काम/पढ़ाई:
काम में मन न लगना, absenteeism, परफॉर्मेंस गिरना।
Diagnosis: Anxiety की जांच कैसे होती है?
- क्लीनिकल इंटरव्यू:
डॉक्टर या साइकोलॉजिस्ट आपकी हिस्ट्री, लक्षण, और जीवनशैली के बारे में विस्तार से पूछते हैं। - स्क्रीनिंग टूल्स:
GAD-7, HAM-A, BAI जैसे validated questionnaires। - शारीरिक जांच:
किसी अन्य बीमारी या दवा के साइड इफेक्ट को rule out करने के लिए। - ब्लड टेस्ट:
थायरॉइड, विटामिन B12, शुगर आदि की जांच।
Anxiety का Treatment
1. काउंसलिंग और थेरेपी (Counseling & Therapy)
- Cognitive Behavioral Therapy (CBT):
सबसे प्रभावी थेरेपी, जिसमें नकारात्मक सोच और व्यवहार को बदलने पर फोकस किया जाता है। - Exposure Therapy:
डर या फोबिया का सामना करना सिखाया जाता है। - Acceptance & Commitment Therapy (ACT):
विचारों को स्वीकारना और वैल्यू-बेस्ड जीवन जीना सिखाता है। - Mindfulness-Based Therapy:
वर्तमान में रहने और ध्यान केंद्रित करने की तकनीकें।
2. दवाएँ (Medications)
- SSRIs/SNRIs:
दिमाग में serotonin/norepinephrine के स्तर को संतुलित करती हैं। - Benzodiazepines:
तुरंत राहत देती हैं, लेकिन लंबे समय तक इस्तेमाल नहीं किया जाता। - Beta-blockers:
शारीरिक लक्षणों (जैसे धड़कन, कांपना) को कम करने के लिए। - Buspirone, Pregabalin आदि:
कुछ खास मामलों में।
नोट: दवाएँ हमेशा डॉक्टर की सलाह से ही लें।
3. लाइफस्टाइल बदलाव (Lifestyle Changes)
- नियमित व्यायाम:
योग, वॉकिंग, रनिंग, डांस, स्विमिंग—जो पसंद आए। - नींद पूरी करें:
रोजाना 7–8 घंटे की नींद anxiety को कम करने में मदद करती है। - संतुलित आहार:
फल, सब्जियाँ, साबुत अनाज, नट्स, ओमेगा-3 फैटी एसिड। - कैफीन, शराब, तंबाकू कम करें।
- मेडिटेशन और डीप ब्रीदिंग:
रोजाना 10–15 मिनट ध्यान या प्राणायाम करें।
Anxiety और डिप्रेशन: क्या फर्क है?
Aspect | Anxiety (चिंता) | Depression (अवसाद) |
---|---|---|
मुख्य भावना | डर, घबराहट, बेचैनी | उदासी, निराशा, खालीपन |
ऊर्जा स्तर | बढ़ी हुई या अस्थिर | कम, सुस्ती |
सोच | नकारात्मक, worst-case | hopelessness, guilt |
शारीरिक लक्षण | दिल की धड़कन, पसीना | थकान, भूख/नींद में बदलाव |
इलाज | थेरेपी, दवाएँ, एक्सरसाइज | थेरेपी, दवाएँ, एक्सरसाइज |
कई बार दोनों साथ-साथ भी हो सकते हैं, इसलिए सही diagnosis जरूरी है।
बच्चों और किशोरों में Anxiety
बच्चों में लक्षण अलग हो सकते हैं—
- स्कूल जाने से डरना
- पेट दर्द, सिरदर्द की शिकायत
- बार-बार रोना या चुप रहना
- दोस्तों से दूरी
- पढ़ाई या खेल में मन न लगना
समय रहते पैरेंट्स को सतर्क रहना चाहिए और जरूरत पड़े तो काउंसलर या चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट से संपर्क करना चाहिए।
महिलाओं में Anxiety
महिलाओं में hormonal बदलाव (पीरियड्स, प्रेग्नेंसी, मेनोपॉज़), घरेलू जिम्मेदारियाँ, और सामाजिक अपेक्षाएँ anxiety का खतरा बढ़ाती हैं।
महिलाओं में पोस्टपार्टम anxiety और social anxiety के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।
समय पर सपोर्ट और इलाज जरूरी है।
मिथक और तथ्य (Myths & Facts)
- मिथक: चिंता सिर्फ कमजोर लोगों को होती है।
तथ्य: यह किसी को भी हो सकती है, चाहे वह कितना भी मजबूत या सफल क्यों न हो। - मिथक: दवा लेने से आदत पड़ जाती है।
तथ्य: डॉक्टर की सलाह से दवा लेना सुरक्षित है और कई मामलों में जरूरी भी। - मिथक: चिंता खुद-ब-खुद ठीक हो जाएगी।
तथ्य: अगर लक्षण लगातार बने रहें तो इलाज जरूरी है। - मिथक: थेरेपी सिर्फ पागलों के लिए है।
तथ्य: थेरेपी हर किसी के लिए फायदेमंद है, खासकर anxiety में।
बचाव [Prevention Tips]
- रोजाना 30 मिनट फिजिकल एक्टिविटी करें।
- कैफीन और शुगर का सेवन सीमित करें।
- सोशल सपोर्ट बनाए रखें—परिवार, दोस्त, काउंसलर।
- अपनी भावनाओं को शेयर करें, दबाएँ नहीं।
- डिजिटल डिटॉक्स करें—सोशल मीडिया से ब्रेक लें।
- पर्याप्त नींद लें और सोने का समय नियमित रखें।
- जरूरत लगे तो प्रोफेशनल मदद लेने में संकोच न करें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
- क्या anxiety का इलाज पूरी तरह संभव है?
हाँ, सही इलाज और लाइफस्टाइल बदलाव से पूरी तरह कंट्रोल किया जा सकता है। - क्या योगा और ध्यान anxiety में मदद करते हैं?
जी हाँ, नियमित योगा और मेडिटेशन से तनाव और चिंता काफी कम हो जाती है। - क्या anxiety के लिए घरेलू उपाय कारगर हैं?
हल्के मामलों में गहरी साँस, म्यूजिक, वॉकिंग आदि मददगार हो सकते हैं, लेकिन गंभीर लक्षण में डॉक्टर से सलाह लें। - क्या anxiety बच्चों में भी हो सकती है?
बिल्कुल, बच्चों में भी चिंता के लक्षण दिख सकते हैं—समय रहते पहचानना जरूरी है। - क्या anxiety और depression एक ही हैं?
नहीं, दोनों अलग-अलग मानसिक स्थितियाँ हैं, लेकिन साथ-साथ भी हो सकती हैं। - क्या सोशल मीडिया anxiety बढ़ा सकता है?
हाँ, लगातार comparison, trolling, और online pressure anxiety को बढ़ा सकते हैं। - क्या रात में नींद न आना anxiety का लक्षण है?
जी हाँ, अनिद्रा आम लक्षण है। - क्या खानपान से anxiety पर असर पड़ता है?
संतुलित आहार anxiety को कम करने में मदद करता है, जबकि जंक फूड, कैफीन, और शराब लक्षण बढ़ा सकते हैं। - क्या anxiety के लिए सिर्फ दवाएँ लेना काफी है?
नहीं, थेरेपी, लाइफस्टाइल बदलाव और सपोर्ट सिस्टम भी जरूरी हैं। - क्या anxiety के मरीज सामान्य जीवन जी सकते हैं?
हाँ, सही इलाज और सपोर्ट से पूरी तरह सामान्य और सफल जीवन संभव है।
National Institute Of Mental Health :
HOW TO DEAL WITH DEPRESSION AND ANXIETY: SANDEEP MAHESHWARI
निष्कर्ष (Conclusion)
Anxiety आज की दुनिया में एक आम लेकिन गंभीर समस्या है।
समय पर पहचान, सही इलाज, और सकारात्मक जीवनशैली से anxiety को पूरी तरह नियंत्रित किया जा सकता है।
अगर आपको या आपके किसी अपने को लगातार चिंता, डर या घबराहट महसूस हो रही है, तो इसे नजरअंदाज न करें—मदद माँगना कमजोरी नहीं, बल्कि समझदारी है।
खुश रहें, एक्टिव रहें, अपनी भावनाओं को शेयर करें और जरूरत पड़े तो प्रोफेशनल सपोर्ट लें—यही स्वस्थ मन और जीवन की कुंजी है।
7 Day Diet Plan for Weight Loss: Infovia Times

डायबिटीज़ (Diabetes): कारण, लक्षण, डाइट, इलाज और संपूर्ण गाइड 2025

आपकी चिंता और संघर्ष को मैं समझता हूँ। याद रखें, हर अंधेरे के बाद उजाला आता है, और हर मुश्किल के बाद आसान राह।
आप अकेले नहीं हैं—अपने दिल की आवाज़ सुनें, खुद से प्यार करें और उम्मीद का दामन कभी न छोड़ें।
छोटे-छोटे कदम आपको बड़ी जीत की ओर ले जाएंगे। हर दिन एक नया अवसर है, अपनी जिंदगी को खुशियों से भरने का। आप मजबूत हैं, और आप यह कर सकते हैं!
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